यह कौन सा दौर है दोस्त
यह चल रही कैसी बयार है
वो शख्स जो जुदा सा लगता था
भीड़ का एक चेहरा बन तैयार है
वो मेरा दोस्त नहीं था
पर किसी से तो किया था
दोस्ती का मौन वादा उसने
वो मेरा हमराज नहीँ था
पर किसी के अँधेरे पलों को
किया था साझा उसने
लेकिन फिर क्या हुआ कि
मोड़ आते ही मुँह फेर चल पड़ा
नए चेहरों की तलाश में
यह कौन सा दौर है दोस्त
यह चल रही कैसी बयार है...
पर किसी से तो किया था
दोस्ती का मौन वादा उसने
वो मेरा हमराज नहीँ था
पर किसी के अँधेरे पलों को
किया था साझा उसने
लेकिन फिर क्या हुआ कि
मोड़ आते ही मुँह फेर चल पड़ा
नए चेहरों की तलाश में
यह कौन सा दौर है दोस्त
यह चल रही कैसी बयार है...
हम यह नहीं कहते कि
हमने दुनिया की बगिया में
फूलों के मेले लगाये हैं
पर इसकि क्यारियों में
बूंदों में ही सही
हम नहीं भूले पानी डालना
फिर क्यों भूल गए वो लोग
जो कभी किया करते थे दावा
अपना सा होने का
यह कौन सा दौर है दोस्त
हमने दुनिया की बगिया में
फूलों के मेले लगाये हैं
पर इसकि क्यारियों में
बूंदों में ही सही
हम नहीं भूले पानी डालना
फिर क्यों भूल गए वो लोग
जो कभी किया करते थे दावा
अपना सा होने का
यह कौन सा दौर है दोस्त
यह चल रही कैसी बयार है....
तुम कहते हो
वो चल रहे दौर के मुताबिक़ हैं
हम ही ढीठ हैं जो ढ़ो रहे
इस दौर में भी उस दौर को
पर क्या
ईश्वर भी ढीठ नहीं
जो अब भी गढ़ रहा
पुराने सांचे में हम जैसे चेहरे
जिनके लिए
दुनिया का यह मुकाम
पहचान से है इतना परे
कि लगता है क्यों कर जिएं?
वो चल रहे दौर के मुताबिक़ हैं
हम ही ढीठ हैं जो ढ़ो रहे
इस दौर में भी उस दौर को
पर क्या
ईश्वर भी ढीठ नहीं
जो अब भी गढ़ रहा
पुराने सांचे में हम जैसे चेहरे
जिनके लिए
दुनिया का यह मुकाम
पहचान से है इतना परे
कि लगता है क्यों कर जिएं?
यह कौन सा दौर है दोस्त
यह चल रही कैसी बयार है
वो शख्स जो जुदा सा लगता था
भीड़ का एक चेहरा बन तैयार है.......।
यह चल रही कैसी बयार है
वो शख्स जो जुदा सा लगता था
भीड़ का एक चेहरा बन तैयार है.......।