न स्याह, न सफेद
सब कुछ धूसर सा है
हमारे समय का रंग धूसर सा है
वही दिखता है
वही बिकता है
वही है दौड़ में अव्वल
स्याह तो अपने कठघरे में खड़ा है
सफेद, कोने में मौन विवश
कि हमारे समय का रंग धूसर है
मत लहराओ परचम भाई
अपने सफेद और स्याह का
इस धूसर से दौर में...
...क्योंकि वही प्रचलित है
वही पसंदीदा है
धूसर हो, तो सब फिदा हैं
चाहेे भेड़चाल ही सही
कि हमारे समय का रंग धूसर है
न कुछ धवल सा
जिसे लपेट गर्व से घूमें
न कुछ काजल सा
जिसे आंखों में सजा लें
बस जो है सो धूसर सा
इसे ही आज का सौभाग्य तिलक समझ
मस्तक पर लगा लें
कि हमारे समय का रंग धूसर है
सब कुछ धूसर सा है
हमारे समय का रंग धूसर सा है
वही दिखता है
वही बिकता है
वही है दौड़ में अव्वल
स्याह तो अपने कठघरे में खड़ा है
सफेद, कोने में मौन विवश
कि हमारे समय का रंग धूसर है
मत लहराओ परचम भाई
अपने सफेद और स्याह का
इस धूसर से दौर में...
...क्योंकि वही प्रचलित है
वही पसंदीदा है
धूसर हो, तो सब फिदा हैं
चाहेे भेड़चाल ही सही
कि हमारे समय का रंग धूसर है
न कुछ धवल सा
जिसे लपेट गर्व से घूमें
न कुछ काजल सा
जिसे आंखों में सजा लें
बस जो है सो धूसर सा
इसे ही आज का सौभाग्य तिलक समझ
मस्तक पर लगा लें
कि हमारे समय का रंग धूसर है