Wednesday, May 9, 2018

मेरा बनारस !

शिव की नगरी बनारस सा
मेरे अंदर भी बसा है इक बनारस

अखड़, अलमस्त, प्राचीन, निरंतर
आरती, दीप, सृजन,  विसर्जन
अप्रकट, आकर्षक, निश्चिंत, कालातीत
मेरे अंदर भी है इक बनारस
ओंकार के आकार का इक बनारस

संस्कार, संसार, भोक्ता, भक्ति
देवालय, सृजनालय, रंगालय, विद्यालय
अर्चना, मानस, नृत्य, ज्ञान
सुर, लय. ताल, बोध
मेरे अंदर भी है इक बनारस
गंगा की धुन में रचा-बसा बनारस

प्रवाह, डुबकी, नाव, केवट
उदयाचल, अस्ताचल, प्रातः, संध्या
धर्म, कर्म, आस्था, समर्पण
साध्य, साधना, मुक्ति, मोक्ष
आदि-अनादि के बोध सा बनारस
मेरे अंदर भी है इक बनारस

हा, चेतना के स्पर्श से अभी दूर
बहुत दूर है मेरा बनारस
पर अनहद नाद सा होगा मेरा बनारस
विश्वनाथ का नगर मेरा बनारस...!