एक अदद घर की तलाश है
एक घर...
जहां सुरक्षित हो हमारा मन
हमारे सपने
हमारी उम्मीदें
हमारा अस्तित्व
वैसे तो...
बड़े जतन से ढ़ूंढ़ा था मौजूदा घर
अच्छा है यह...
सुबह सबेरे धूप दस्तक देती है
दरवाजा खोलते ही हवा चुपके से अंदर आती है
बालकनी में खड़े होकर
कभी आसमान से बातें
तो कभी दूर खड़े दरख्त से
कोई नहीं दखल देता इसमें
बादलों का डेरा न हो तो,
आते जाते चांद भी मुस्करा देता है
दीवारों से बारिश के पानी भी नहीं टपकते
औ' रातों को अंधेरे साये भी नहीं डराते...
पर डर का एक टूकड़ा
फिर भी घूस गया है मेरे अंदर
घर की दीवारें नहीं रोक पाई उसे
नहीं रोक पाई मन को दरकने से
नहीं रोक पाई सपनों को चटकने से
नहीं रोक पाई उम्मीदों को भटकने से
वैसे दीवारें अभी दुरुस्त हैं
खिड़िकयां, दरवाजों पर सांकल चढ़े हैं
उसके बावजूद
सामने खड़ा है अस्तित्व के बिखरने का डर
एक घर ऐसा हो काश,
जहां घुसने न पाए...
'पाश' की पंक्तियों का परचम लहराने वालों की साजिश
सत्ता को आईना दिखाने वालों का अहंकार
मीठे शब्दों की चाशनी में डूबोए खंजर थामे हाथ
वाकई एक घर हो ऐसा...
जहां घुसने न पाए कोई 'नकाबधारी'
तलाश है एक ऐसे घर की!!
एक घर...
जहां सुरक्षित हो हमारा मन
हमारे सपने
हमारी उम्मीदें
हमारा अस्तित्व
वैसे तो...
बड़े जतन से ढ़ूंढ़ा था मौजूदा घर
अच्छा है यह...
सुबह सबेरे धूप दस्तक देती है
दरवाजा खोलते ही हवा चुपके से अंदर आती है
बालकनी में खड़े होकर
कभी आसमान से बातें
तो कभी दूर खड़े दरख्त से
कोई नहीं दखल देता इसमें
बादलों का डेरा न हो तो,
आते जाते चांद भी मुस्करा देता है
दीवारों से बारिश के पानी भी नहीं टपकते
औ' रातों को अंधेरे साये भी नहीं डराते...
पर डर का एक टूकड़ा
फिर भी घूस गया है मेरे अंदर
घर की दीवारें नहीं रोक पाई उसे
नहीं रोक पाई मन को दरकने से
नहीं रोक पाई सपनों को चटकने से
नहीं रोक पाई उम्मीदों को भटकने से
वैसे दीवारें अभी दुरुस्त हैं
खिड़िकयां, दरवाजों पर सांकल चढ़े हैं
उसके बावजूद
सामने खड़ा है अस्तित्व के बिखरने का डर
एक घर ऐसा हो काश,
जहां घुसने न पाए...
'पाश' की पंक्तियों का परचम लहराने वालों की साजिश
सत्ता को आईना दिखाने वालों का अहंकार
मीठे शब्दों की चाशनी में डूबोए खंजर थामे हाथ
वाकई एक घर हो ऐसा...
जहां घुसने न पाए कोई 'नकाबधारी'
तलाश है एक ऐसे घर की!!