अब मरने का इंतजार नहीं मुझे
क्योंकि मैंने स्वयं को फ़ीनिक्स मान लिया है
केवल माना ही नहीं
महसूस कर सकती हूं
मेरे दो पंख, लंबी चोंच, वो उड़ान और वो शक्ति
जल कर राख होना
और फिर सशरीर जी उठना
आत्मा वही पर चोला नया
जिसमें किसी स्याह स्मृतियों के बोझ नहीं
किन्हीं पूर्वाग्रहों का दंश नहीं
कोई प्रतीक्षा नहीं, कोई पश्चाताप नहीं
सब राख हो चुका
जो निखर आया
वो नई उर्जा में लिपटा
आत्मा का तेज है!!
क्योंकि मैंने स्वयं को फ़ीनिक्स मान लिया है
केवल माना ही नहीं
महसूस कर सकती हूं
मेरे दो पंख, लंबी चोंच, वो उड़ान और वो शक्ति
जल कर राख होना
और फिर सशरीर जी उठना
आत्मा वही पर चोला नया
जिसमें किसी स्याह स्मृतियों के बोझ नहीं
किन्हीं पूर्वाग्रहों का दंश नहीं
कोई प्रतीक्षा नहीं, कोई पश्चाताप नहीं
सब राख हो चुका
जो निखर आया
वो नई उर्जा में लिपटा
आत्मा का तेज है!!