मेरे अनुज याद आता है
तुम्हारा वह सम्बोधन
प्यार से कभी रोबोट पुकारना
तो कभी सिर्फ रोबो
मेरे अनुज याद आता है
हमारा वह बचपन
कभी लड़न-झगड़ना
तो कभी छिनना-झपटना
कभी वह रुठना-मनाना
सब याद आता है
पर बहुत याद आता है
तुम्हारा वह सम्बोधन
क्योंकि,
वक्त की रफ्तार में
वह सम्बोधन तो गुम हो गया है
पर इसे विडंबना कहुं या क्या
जिंदगी ने मुझे रोबोट ही समझ लिया
जब चाहा स्विच ऑन किया
जब चाहा स्विच ऑफ किया
और मैं चिखती रह गई
मैं रोबोट नहीं इंसान हूं
मेरे अनुज वाकई याद आता है
तुम्हारा रोबोट बुलाना
पर जिंदगी ने मुझे रोबोट समझा
शिकायत है इस बात की
बहुत शिकायत है इस जिंदगी से
बहुत-बहुत शिकायत है किसी से!...........................
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